मुंबई में एक चौंकाने वाली साइबर धोखाधड़ी में, अपराधियों ने खुद को सीबीआई अपराध शाखा के अधिकारी बताकर एक वृद्ध महिला को 20 करोड़ रुपये से ठग लिया। यह घटना बढ़ते साइबर अपराधों को दर्शाती है और स्वयं को इनसे बचाने के लिए जागरूकता के महत्व को उजागर करती है।
घोटाले की पूरी कहानी
फ्रॉडस्टर्स, जिनमें से एक को राव के रूप में पहचाना गया, ने महिला को व्हाट्सएप के माध्यम से संपर्क किया और दावा किया कि उनकी वित्तीय गतिविधियां जांच के दायरे में हैं। उन्होंने उसे गिरफ्तारी और उसकी संपत्तियों को फ्रीज करने की धमकी दी। डर और मानसिक दबाव का उपयोग करके, उन्होंने महिला को अपनी सारी संपत्ति तथाकथित “कोर्ट अकाउंट” में ट्रांसफर करने के लिए मजबूर कर दिया।
साइबर अपराधियों द्वारा इस्तेमाल की गई प्रमुख रणनीतियाँ:
- फर्जी कानूनी धमकियाँ: पीड़िता को बताया गया कि उसके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है।
- डिजिटल पुलिस कस्टडी: उसे मामले की जानकारी किसी से साझा न करने का निर्देश दिया गया और हर समय निगरानी में रखा गया।
- फर्जी नोटिस और दस्तावेज: अपराधियों ने सुप्रीम कोर्ट के नकली नोटिस भेजे ताकि वे असली लगें।
- बैंक खाता जानकारी प्राप्त करना: धोखेबाजों ने वित्तीय विवरण हासिल कर महिला से पैसे ट्रांसफर करवा लिए।
- भावनात्मक दबाव: उन्होंने उसके परिवार को नुकसान पहुंचाने की धमकी दी, जिससे मानसिक तनाव बढ़ा।
गिरफ्तारी और जांच
4 मार्च को शिकायत दर्ज होने के बाद, मुंबई साइबर पुलिस ने मलाड के शायान शेख (20) और मीरा रोड के रज़ीक बट (20) को गिरफ्तार किया। जांच में खुलासा हुआ कि आरोपियों ने भारतीय बैंक खातों के माध्यम से पैसे भेजे, उन्हें क्रिप्टोकरेंसी में बदला और विदेशों में विभिन्न वॉलेट में ट्रांसफर किया। अन्य संदिग्धों में रयान शेख और आदिल शेख शामिल हैं, जिन्हें पिछले साइबर धोखाधड़ी मामलों से जोड़ा गया है।
साइबर धोखाधड़ी से खुद को कैसे बचाएं
- अधिकारी होने का दावा करने वालों की जाँच करें: यदि कोई सरकारी एजेंसी से होने का दावा करता है, तो आधिकारिक हेल्पलाइन पर कॉल करके सत्यापित करें।
- व्यक्तिगत जानकारी साझा करने से बचें: फोन कॉल या संदेश के माध्यम से बैंकिंग विवरण, ओटीपी या पासवर्ड कभी न साझा करें।
- धमकियों से सावधान रहें: साइबर अपराधी गिरफ्तारी या वित्तीय नुकसान की धमकी देकर पीड़ितों को डराते हैं।
- संदिग्ध कॉल और संदेशों की रिपोर्ट करें: साइबर अपराध हेल्पलाइन (1930) पर रिपोर्ट करें या cybercrime.gov.in पर जाएँ।
- बैंक अलर्ट सक्रिय करें: बैंकिंग लेन-देन के लिए एसएमएस/ईमेल अलर्ट चालू रखें।
- सूचित रहें: आम साइबर धोखाधड़ी तकनीकों के बारे में खुद को अपडेट रखें ताकि आप इनके शिकार न बनें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
1. साइबर धोखाधड़ी को कैसे पहचानें?
यदि कोई आपको तुरंत पैसे ट्रांसफर करने के लिए मजबूर करता है, कानूनी कार्रवाई की धमकी देता है, या व्यक्तिगत जानकारी मांगता है, तो यह साइबर धोखाधड़ी हो सकती है।
2. अगर मुझे कोई धोखाधड़ी संदेह हो तो क्या करें?
तुरंत संचार बंद करें, कोई जानकारी साझा न करें, और साइबर अपराध हेल्पलाइन या स्थानीय पुलिस को रिपोर्ट करें।
3. क्या धोखेबाज वास्तव में मेरा बैंक खाता फ्रीज कर सकते हैं?
नहीं। केवल आरबीआई या अदालत जैसी वैध संस्थाएँ ऐसा कर सकती हैं। बैंक से सत्यापन किए बिना कोई कार्रवाई न करें।
4. साइबर अपराधी क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग कैसे करते हैं?
वे चोरी किए गए पैसे को क्रिप्टोकरेंसी में बदलकर ट्रैकिंग से बचते हैं और इसे विदेशों में ट्रांसफर कर देते हैं।
5. भारत में साइबर धोखाधड़ी की रिपोर्ट कहाँ करें?
आप cybercrime.gov.in पर रिपोर्ट कर सकते हैं या राष्ट्रीय साइबर अपराध हेल्पलाइन 1930 पर कॉल कर सकते हैं।